आज की इस POST में हम आपके लिए BSER 12th Physics Lesson -11 “किरण प्रकाशिकी ( Ray Optics ) ” part-2 लेकर आये है so इस lecture को पढ़े ,देखे ,सुने और अपने subject पर महारथ हासिल करके exam में अधिकतम score बनाये |
अध्याय “किरण प्रकाशिकी ( Ray Optics ) ” बाकी के topics के link आपको page के नीचे मिल जायेंगे |
BSER 12th Physics Lesson -11 किरण प्रकाशिकी ( Ray Optics )
#वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दुरी के मध्य सम्बन्ध ( Relation between radius of curvature and focus radius ) :-
चित्रानुसार एक छोटे द्वारक का अवतल दर्पण ( concave mirror ) जिसके मुख्य अक्ष ( Main axis ) के समान्तर ( Parallel )आपतित प्रकाश किरण ( Critical Light Rays ) “AO” दर्पण के बिंदु “O” से परावर्तित ( Reflected ) होकर फोकस बिन्दु “F” से गुजरती हैं |
परावर्तन के नियम से ( By the rule of reflection )-
आपतन कोण (Angle of incidence) = परावर्तन कोण (Reflection angle)
∡i = ∡r …………………….समी. ( 1 )
∡AOC = ∡OCF = ∡i…………….एकान्तर कोण (Alternate angle) हैं
△ OFC में
∠COF = ∠FCO
अत: OF = FC ……………समी.( 2 )
∵ अवतल दर्पण का द्वारक अत्यल्प ( Minimal )है | इस कारण बिन्दु “O” एवं “P” एक दुसरे के अत्यंत समीप स्थित होंगे |
अत: OF = PF …………..समी. ( 3 )
समी. ( 2 ) व ( 3 ) से
FC = PF…………..समी. ( 4 )
दर्पण की वक्रता त्रिज्या –
समी. ( 4 ) से –
or
जहाँ f = PF = फोकस दुरी हैं |
R = वक्रता त्रिज्या हैं |
अत: दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दुरी की दुगुनी होती हैं | अर्थात फोकस दुरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती हैं |
दर्पण समीकरण ( Mirror equation ) :-
चित्रानुसार एक अवतल दर्पण जिसकी मुख्य अक्ष पर “C” व “∞” के मध्य एक बिम्ब “AB” को रखा गया हैं | जिसके परिणामस्वरूप “C” व “F” के मध्य एक वास्तविक प्रतिबिम्ब A’B’ का निर्माण होता हैं | बिम्ब की ध्रुव P से दुरी u हैं एवं प्रतिबिम्ब की ध्रुव से दुरी v हैं | इस दर्पण की फोकस दुरी f हैं |
यदि भुजा OP को एक सरल रेखा माना जाये तो समरूप त्रिभुज △A’B’F एवं △FOP से –
……………….समी. ( 1 )
∡BPA = ∡A’PB’
अत: समरूप △ ABP एवं △ A’B’P से
……………….समी. ( 2 )
समी. ( 1 ) व समी. ( 2 ) से
∵ A’P = A’F + FP
A’F = A’P – FP
अत:
…………….समी. ( 3 )
- समीकरण ( 3) दर्पण समीकरण कहलाती हैं | यह उत्तल एवं अवतल दर्पण के लिए एक समान रूप से लागू होती हैं |
# गोलीय दर्पण का रेखिक आवर्धन (Linear magnification of spherical mirrors):-
प्र्तिबिम्ब की ऊँचाई एवं बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात को दर्पण का रेखिक आवर्धन कहते हैं ,इसे m से व्यक्त किया जाता हैं |
m= प्रतिबिम्ब की ऊँचाई ( h’ )/बिम्ब की ऊँचाई( h)
समरूप ΔA′B′P एवं ΔABP से ⇒
⇒
⇒
…………..समी.(4)
दर्पण समी. से –
………………..समी. (5)
समी.(4) व (5) से –
पुन: दर्पण समी. से –
…………….समी. (6)
समी. (4) व (6) से –
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